साहित्य मण्डल के तत्वावधान में पाटोत्सव ब्रजभाषा समारोह सम्पन्न
ब्रजभाषा साहित्य एवं संस्कृति को निरंतर बढ़ावा देने पर दिया गया बल
(शिव शरण त्रिपाठी से)
श्रीनाथद्वारा (राजस्थान)। सन् १९३७ में स्थापित देश की ख्यातिलब्द्ध हिन्दी साहित्य सेवी संस्था 'साहित्य मण्डलÓ द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 'पाटोत्सव ब्रजभाषा समारोहÓ एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
१५-१६ फ रवरी २०२० को आयोजित उक्त दो दिवसीय समारोह में पहले दिन शनिवार को जहां १३ सत्रों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुये वहीं दूसरे दिन रविवार को १० सत्रों में अनेक कार्यक्रम सम्पन्न हुये।
पहले सत्र की खास विशेषता जहां ब्रज भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार श्री रामशरण पीतलिया व्याख्यान माला का आयोजन होना रहा वहीं ब्रजभाषा की ९ विशिष्ट विभूतियों को 'ब्रजभाषा विभूषणÓ मानद उपाधि से अलंकृत किया जाना रहा।
अलावा उक्त के अखिल भारतीय ब्रज भाषा कवि सम्मेलन भी अपनी छटा बिखरने में सफ ल रहा।
समारोह के प्रथम दिन प्रथम सत्र में राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी जयपुर और साहित्य मण्डल श्री नाथद्वारा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित श्री रामशरण पीतलिया स्मृति व्याख्यान माला का आयोजन साहित्यमण्डल के प्रेक्षागार में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री जितेंद्र कुमार ओझा मुख्य निष्पादन अधिकारी मंदिर मण्डल ने कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा कर कार्यक्रम की शुरुआत की । ब्रज के रससिद्ध कवि श्री राधागोविंद पाठक जी ने सरस्वती वंदना की। राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी के पूर्व सचिव श्री विटठल पारीक जी ने श्रीनाथवंदना कर कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की । कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री जगदीश प्रसाद शर्मा , पूर्व प्रशासनिक अधिकारी , श्री चेतन कुमार त्रिपाठी संपदा अधिकारी मंदिर मण्डल श्री सुधाकर शास्त्री मुख्य अधिकारी मंदिर मण्डल , श्री रामेश्वर शर्मा रामू भैया साहित्यकार, ने अपने प्रभावषाली उद्बोधन के माध्यम से ब्रजभाषा साहित्य एवं संस्कृति को बढावा देेने की बात कही।
व्याख्यानमाला के अवसर पर भरतपुर के विद्वान मनीषी साहित्यकार श्री मनमोहन अभिलाषी ने ''श्री रामशरण पीतलिया: कृतित्व एवं व्यक्तित्व ÓÓ एवं डीग के ब्रजभाषा के जाने माने विद्वान श्री नंद किशोर गंधी जी ने ''श्री रामशरण पीतलिया: पत्रकारिता के स्तम्भ ÓÓ विषय पर आलेख वाचन किया गया। संस्थान द्वारा आयोजित समस्यापूत्रि कार्यक्रम के प्रथम चरण में ब्रज के सिद्ध कवि श्री राधागोविंद जी पाठक , श्री सुरेन्द्र जी साथ्रक , श्री हरिओम हरी , श्री राजवीर भारती , सुश्री पूर्णिमा पूनम , एवं श्री नारायण सिंह जी ने समस्याओं की पूर्ति की ।
इस अवसर पर साहित्यमण्डल को ब्रजभाषा शीर्ष सम्मान हिंदी ब्रज के शिखर विद्वान साहित्यकार डा सोम ठाकुर आगरा को श्री रामशरण जी पीतलिया स्मृति ब्रजभाषा विभूषण सम्मान , बाल प्रतिभा श्री गुरु उपाध्याय एवं यश राजस्थानी को अभिनंदन पत्र , श्रीनाथ जी की छवि, शाल , श्रीफल,
मेवाडी पगडी , दुपटटा एवं प्रसाद के साथ इक्यावन सौ राशि प्रदान की गयी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्य सेवी एवं कासगंज के कांकरगढके राजा श्री राव मुकुल मानसिंह जी ने की । इस अवसर पर देश के विविध राज्यों से पधारे विद्वान लेखक एवं कवि उपस्थित थे।
द्वितीय सत्र में श्री रामशरण पीतलिया स्मृति व्याख्यानमाला , सम्मानसमारोह एवं कवि सम्मेलनएवं रसिया गायन का आयोजन किया गया । दोपहर के सत्र में राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी के सहयोग से आयोजित व्याख्यान माला में भरतपुर के ब्रजभाषा के मनीषी श्री हरिओम हरि ने रामषरण पीतलिया:ब्रजभाषा साहित्य के मौन साधक एवं कामवन के वरिश्ठ साहित्यकार डा भगवान मकरंद ने श्री रामशरण पीतलिया: साहित्य में पुष्ठिमार्गीय चेतना के साधक विषय पर अपना पत्र वाचन किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी राजस्थानी के जाने माने साहित्यकार श्री मनोहर सिंह जी राठौर ने की । साथ ही उमादत्त शर्मा एवं अन्य अतिथियों ने इस अवसर पर ब्रजभाशा के श्रेष्ठ साहित्यकारों जिनमें सुरेशकुमार शर्मा भरतपुर , प्रीतम सिंह परेषान कामवन, श्यामलाल सैनी नगर , देवकी नंदन महवा , रामवीर भारती मुरैना, कैलाश चंद शर्मा मुरैना, रामेन्द्र सिंह ब्रजवासी मुरलिया, सत्यप्रकाश शर्मा वृंदावन, एवं पूनम शर्मा पूर्णिमा
अलीगढ को ब्रजभाशा विभूषण की मानद उपाधि प्रदान की । इस अवसर पर सभी विद्वानोंको उपाधि पत्र , श्री नाथ जी की छवि , प्रसाद , शाल ,, एवं दुपटटा सहित अनेक सामग्री प्रदान की ।
इस अवसर पर वृंदावन से पधारी कलाकार एवं गायक श्री मती भारती शर्मा ने ब्रज की होरी एवं रसिया नृत्यों के द्वारा दर्शकों को आनंद प्रदान किया। वृंदावन से पधारे प्रसिद्ध संगीतज्ञ श्री गजाधर पाठक राजू मथूुरा ने विचित्र रूद्र वीणा की प्रस्तुति देकर स्रेाताओं को को आंनंदित किया । दोनों कलाकारों का इस अवसर पर अतिथियो द्वारा अभिनंदन किया गया। मंचस्थ अतिथियों द्वारा दोनों कलाकारों को उपाधि पत्र , श्री नाथ जी की छवि , प्रसाद , शाल ,, एवं दुपटटा सहित अनेक सामग्री प्रदान कर अभिवंदित किया गया।
कविसम्मेलन
राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी के सहयोग से साहित्य मण्डल नाथद्वारा के प्रेक्षागार में ब्रजरसिया गायन का आयेाजन किया गया। श्रीनाथद्वारा से आमंत्रित ब्रजरसिया के गायक कलाकारों एवं रसियाबाजों ने अपनी गायकी की श्रेष्ठ प्रस्तुति देकर दर्शकों के मन को मोहा। इसके पश्चात अकादमी के सहयोग से अखिल भारतीय ब्रजभाषा कवि सम्मेलन का आयेाजन किया गया। इसमें देश के जाने माने ख्यातिनाम कवियों ने अपनी श्रेष्ठ रचनाओं की प्रस्तुति दी । भरतपुर के कवि श्री हरिओम हरी ने मॉं सरस्वती की वंदना कर कार्यक्रम की शुरुआत की । अंतर्राष्टीय ख्यातिनाम कवि डा सोम ठाकुर ने ब्रजधाम महाअभिराम जहॉं घनसयामहिं आंनंद रासि भये सुनाकर तालियॉं बटोरी । ब्रज लोक भूषण एवं बल्देव के कवि श्री राधा गोविंद पाठक ने प्रेम की वाणी जि मंजू मनोहर चित हरेै हुलसे ब्रजभाषा Ó के माध्यम से ब्रजभाषा की सुंदरता एवं सार्थकता को सिद्ध किया। ब्रज कोकिल कवि श्री श्याम सुंदर अकिंचन छाता ने ब्रजश्वेरी राधा नाम की महिमा को बखान करते हुए 'श्री राधा नाम गंगाजल सौं नहाओ मलमल काया कुण्डजीवन कमल खिल जायेगौÓ सुनाकर तालियॉं बटोरी। आगरा के कवि श्री शिवसागर ष्शर्मा ने:आज प्रकट भये हैं घनस्याम , नंदजू के आंगना में कविता सुनाई । बल्देव के युवा कवि एवं गीतकार ने देश भक्त सैनिक की बहन की पीड़ा को 'तेरी बहना तेाय पुकारें आ कंन्हैया रे आय गये सबकेे ने आयौ मैरौ भैया रेÓÓ सुनाई। डीग के जाने माने कवि एवं व्यंग्यकार ने अपने व्यंग्यों एवं कविता से आज की व्यवस्था पर कटाक्ष किये।
अलीगढ से आई ब्रज की कवयित्री श्रीमती पूनम शर्मा पूर्णिमा ने ब्रज के लोक गीत एवं ढोला सुनाया। उनकी रचना 'उधौ काहे नो जिदो छलिया मेारे गाम सांस सांस पे लिख दियो मनमोहन को नामÓ को श्रोताओं ने काफी सराहा। भरतपुर के जाने माने कवि श्री हरि ओम हरी ने अपनी कविता फागुन में फाग नांिह दीखे रंग राग कहूंॅ Ó सुनाई । सरमथुरा के कवि ब्रजेंद्र चकोर ने आतंकवाद पर अपनी कविता तीन सौ सत्तर खतम कीनी , मिटो आतंक पाकिस्तान कौ सुनाकर तालियॉं बजवाई । हास्यकवि डा भगवान मकरंद ने हमारे सैनिकों पे ये कबहॅंू न वार होते छुपे अपने ही घर में जो कहूॅ गददार न होतेÓ रचना सुनाई । इस अवसर पर दौसा के कवि डा अंजीव अंजुम ने गाव की विकृत होती संस्कृति पर कविता सुनाई । ब्रजभाशा अकादमी के पूर्व सचिव एवं साहित्यकार श्री विटठल पारीक ने भी आज की संस्कृति पर कटाक्ष किया। कार्यक्रम का संयोजन कवि सुरेंद्र सार्थक ने किया ।इस अवसर पर साहित्यकार श्री रामेश्वर भैया , सतवीर मानव , बुलाकी शर्मा , सहित अन्य कवि एवं साहित्यकार भी उपस्थित हुआ।
डॉ० विजय लक्ष्मी काव्य कुसुम सम्मान से विभूषित
समारोह में आगरा निवासी शिक्षक एवं साहित्यकार डॉ० विजय लक्ष्मी (धर्मपत्नी नितिन चौहान) को मण्डल की ओर से काव्य कुसुम सम्मान से विभूषित किया गया।
इस अवसर पर उन्हे शाल, दुपट्टा, कंठहार, मेवाड़ी टोपी से विभूषित करने के बाद भगवान श्रीनाथ जी के चित्रयुक्त कलम श्रीनाथ जी की अलौकिक छवि एवं प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया।
ब्रजभाषा विभूषण अलंकरण
समारोह में ब्रज भाषा विभूषण मानद उपाधि से अलंकृत मनीषी (दांये से) पूनम शर्मा अलीगढ़, सत्य प्रकाश शर्मा 'सोटानन्दÓ वृंदावन, रामेन्द्र सिंह 'ब्रजभाषीÓ मुरलिया-मथुरा, कैलाश चन्द्र शर्मा, मुरैना एवं राजवीर सिंह 'भारतीÓ मुरैना।
हरसिंगार, साहित्यिकी एवं दि मॉरल के विशेषांक का भी लोकार्पण
समारोह में जहां साहित्य मण्डल की त्रैमासिक पत्रिका हरसिंगार के ताजे अंक का लोकार्पण किया गया वहीं अन्य मनीषियों की कृतियों का भी लोकार्पण किया गया।
इसी क्रम में हिन्दी प्रचारिणी समिति कानपुर द्वारा प्रकाशित पत्रिका 'साहित्यिकीÓ के विशम्भर नाथ शर्मा 'कौशिकÓ विशेषांक का भी लोकार्पण हुआ।
इसी अवसर पर 'दि मॉरलÓ के हिन्दी साहित्य पर केन्द्रित विशिष्ट अंक का भी विमोचन किया गया। सभी ने सम्पादक श्री त्रिपाठी के प्रयासों के सराहना की।
कवि रामेन्द्र सिंह ब्रजवासी के काव्य संग्रह 'ब्रज रसÓ का भी लोकार्पण किया गया।